प्रेम ब्रह्मांड जितना विशाल है
प्रेम ब्रह्मांड जितना विशाल है "मुझे तुम्हारी प्रतीक्षा तमाम उम्र रहेगी मुझे तुमसे ही नहीं तुम्हारे होने से भी प्रेम है.. ❣️" प्रेम ब्रह्मांड जितना विशाल है मेरी प्रीत आकाश और धरती से परे है जिसे मैं जताना चाहती हूं तुम पर मैं महाकाव्य रचना चाहती हूं तुमसे मेरे प्रेम का असीमित प्रेम है मेरा एक तुम्हारा नाम अनंत संभावनाएं रचता है गीतों और कविताओं में तुम्हें लिखने के लिए मैं इतना प्रेम लिखना चाहती हूं तुम्हारे लिए जितना संपूर्ण सृष्टि में किसी ने किसी से न कहा मैं तुम्हें एकांत में गाती हूं गुनगुनाती हूं तुम्हारे नाम को कितना सुंदर और प्यारा है एक शब्द मेरे प्रियतम का नाम पर तुम पर निर्भर करता है मेरे प्रेम की परिधि मैं तुम हो या नहीं तुम्हें जब भी समेटना चाहती हूं शब्दों में एक नया काव्य रच जाती हूं मैं हृदय की देहरी को मैंने ऊंचा कर लिया जिसे सिर्फ तुम लांघ सकते हो मैं डूबना चाहती हूं तुम्हारे अमृत कलश में आज्ञा हो तो मैं भीतर तक सींच जाऊं तुम्हारी प्रेम और भक्ति में जीवन के अंतिम पड़ाव पर राह देखती हूं तुम्हारे लिए तुम्हारे साथ..